प्रधानमंत्री सशक्त और ईमानदार हो-किरण बेदी, इंटरव्यू ,-भीका शर्मा और गायत्री शर्मा |
बुद्धि, कौशल हर चीज में किरण लड़कों से कम नहीं। 'लोग क्या कहेंगे' इस बात की किरण ने कभी भी परवाह नहीं करते हुए अपनी जिंदगी के मायने खुद निर्धारित किए। अपने जीवन व पेशे की हर चुनौती का हँसकर सामना करने वाली किरण बेदी साहस व कुशाग्रता की एक मिसाल हैं, जिसका अनुसरण इस समाज को एक सकारात्मक बदलाव की राह पर ले जाएगा। 'क्रेन बेदी' के नाम से विख्यात इस महिला ने बहादुरी की जो इबारत लिखी है, उसे सालों तक पढ़ा जाएगा। |
हमने की खास मुलाकात किरण बेदी जी के साथ। प्रश्न : जब आप आईपीएस चुनी गईं तब समाज में महिलाओं का पुलिस सेवा में जाना अच्छा नहीं माना जाता था। क्या आपको परिवार की ओर से इस तरह की कोई दिक्कत पेश हुई? उत्तर : परिवार अगर विरोध करता तो शायद मैं इस पोजीशन तक नहीं पहुँच पाती। किरण बेदी अपने परिवार का ही प्रोडक्ट थी परंतु यह सच है कि उस समय महिलाओं का पुलिस सेवा में जाना समाज की दृष्टि में ठीक नहीं माना जाता था। प्रश्न : आपकी सफलता में आपके पति का कितना योगदान रहा? उत्तर : मेरे पति का मेरी हर कामयाबी में भरपूर योगदान रहा। मेरी हर सफलता को वे अपनी सफलता मानते हैं। स्वयंसेवी संस्थाएँ जुड़े जो हमने तिहाड़ जेल में किया वो देश की हर जेल में हो सकता है। इसके लिए आवश्यकता है कि स्वयंसेवी संस्थाओं को इस कार्य में जोड़ा जाए। जितनी ज्यादा स्वयंसेवी संस्थाएँ इस पुनीत कार्य से जुड़ेंगी उतना ही अधिक सुधार होगा प्रश्न : आपकी कचहरी के माध्यम से जनता से सीधे संवाद करने का आपका अनुभव कैसा रहा? उत्तर : इस कार्यक्रम के माध्यम से हमें एक सामाजिक जरूरत का पता लगा कि आज देश को ऐसे ही फोरम की जरूरत है। वो चाहते हैं कि कोई तुरंत न्याय वाले माध्यम से उनकी कोई मदद करे। ऐसा कोई फोरम हो जिसमें एक ही सुनवाई के भीतर लोगों को त्वरित न्याय मिले। आज यह कार्यक्रम लोगों को न्याय दिलाने का एक माध्यम बन रहा है। प्रश्न : क्या आपको ऐसा लगता है कि भारतीय न्याय प्रणाली की सुस्तैल व्यवस्था के कारण कई वर्षों तक न्यायालयों में ही प्रकरण लंबित पड़े रहते हैं और लोग न्याय की गुहार करते-करते ही अपने जीवन का आधा समय व्यतीत कर देते हैं? उत्तर : ये हकीकत है कि न्याय मामले लंबित हैं व न्यायालय में मुकदमों की सुनवाई में सालों लग जाते हैं। सीनियर ज्यूडीशरी ने भी इसे स्वीकारा है कि हमारे यहाँ अदालतों में बहुत एरियर्स हैं। लोगों को विश्वास नहीं है कि उन्हें न्याय मिल ही जाएगा। इसलिए वो दूसरे रास्ते ढूँढ़ते हैं और उनको कुछ मिलता नहीं है। कोर्ट में मुकदमे बहुत अधिक हैं व उनकी सुनवाई करने वाले जजों की संख्या बहुत कम है, इसीलिए तो वर्तमान में लोक अदालत की लोकप्रियता बढ़ रही है, लेकिन आज भी बहुत सारी ऐसी बिजली अदालत और लोक अदालत की जरूरत है। प्रश्न : जिस तरह से आपके प्रयासों से तिहाड़ जेल ‘तिहाड़ आश्रम’ में बदल गई, क्या आप मानती हैं कि आज देश की हर जेल को भी तिहाड़ जेल की तरह आश्रम बनाना चाहिए? उत्तर : जो हमने तिहाड़ जेल में किया वो देश की हर जेल में हो सकता है। इसके लिए आवश्यकता है कि स्वयंसेवी संस्थाओं को इस कार्य में जोड़ा जाए। जितनी ज्यादा स्वयंसेवी संस्थाएँ इस पुनीत कार्य से जुड़ेंगी उतना ही अधिक सुधार होगा तथा कैदियों को शिक्षा के साथ स्वावलंबन के अन्य कार्यों का भी प्रशिक्षण मिलेगा। इससे उनकी आपराधिक प्रवृत्तियों पर अंकुश लगेगा। प्रशन : आज भी भारतीय महिलाएँ पिछड़ी हैं। उन पर अत्याचार हो रहे हैं। इसके पीछे क्या कारण है? उत्तर : उनकी परवरिश ठीक नहीं है। कहीं स्कूल दूर है तो कहीं उन्हें रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण नहीं मिल पा रहा है। वे जो पढ़ना चाहती हैं वह पढ़ नहीं पाती हैं। वे जो काम करना चाहती हैं कर नहीं पाती हैं। इस प्रकार वे मजबूर होघर कामकाज में ही अपनी सारी जिंदगी गुजार देती हैं। आज शादी ही भारतीय महिलाओं के जीवन का एक आधार है जो कि नहीं होना चाहिए। अगर शादी सफल हुई तो उनका जीवन अच्छा है अन्यथा बर्बाद है। प्रश्न : आपके अनुसार देश का प्रधानमंत्री कैसा होना चाहिए? उत्तर : देश का प्रधानमंत्री ईमानदार और मजबूत होना चाहिए, लेकिन उसके पीछे मेजोरिटी भी होना चाहिए। अगर मेजोरिटी नहीं है या उस पर ऐसे गठजोड़ हैं जो हर चीज पर कभी हाँ और कभी ना करें तो वो सरकार क्या चलेगी। तो ये गणित नहीं है। यदि वो खुद ही असुरक्षित हो, उसके पास नंबर ही नहीं हो, गणित ही नहीं हो तो वो क्या करेगा। प्रधानमंत्री के पीछे आइडियोलॉजी और सशक्त पार्टी होना चाहिए। प्रश्न : आपने राजनीति में रुचि क्यों नहीं ली? उत्तर : क्योंकि मेरी इसमें रुचि नहीं है। पब्लिक लाइफ में मेरी रुचि शत प्रतिशत है, लेकिन पॉलीटिकल लाइफ में बिलकुल नहीं है। |
Friday, November 19, 2010
प्रधानमंत्री सशक्त और ईमानदार हो-किरण बेदी, इंटरव्यू ,-भीका शर्मा और गायत्री शर्मा
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किरण बेदी जी ने सही कहा है|
ReplyDeleteअच्छा है । रचना के शेयर बटन भी लगाए ताकि अच्छी स्टोरी को सांझा किया जा सके
ReplyDeleteउनकी परवरिश ठीक नहीं है।
ReplyDeletebilkul sahi kaha .
BAAS Voice का आमंत्रण :
ReplyDeleteआज हमारे देश में जिन लोगों के हाथ में सत्ता है, उनमें से अधिकतर का सच्चाई, ईमानदारी, इंसाफ आदि से दूर का भी नाता नहीं है। अधिकतर तो भ्रष्टाचार के दलदल में अन्दर तक धंसे हुए हैं, जो अपराधियों को संरक्षण भी देते हैं। इसका दु:खद दुष्परिणाम ये है कि ताकतवर लोग जब चाहें, जैसे चाहें देश के मान-सम्मान, कानून, व्यवस्था और संविधान के साथ बलात्कार करके चलते बनते हैं और किसी को सजा भी नहीं होती। जबकि बच्चे की भूख मिटाने हेतु रोटी चुराने वाली अनेक माताएँ जेलों में बन्द हैं। इन भ्रष्ट एवं अत्याचारियों के खिलाफ यदि कोई आम व्यक्ति, ईमानदार अफसर या कर्मचारी आवाज उठाना चाहे, तो उसे तरह-तरह से प्रता‹िडत एवं अपमानित किया जाता है और पूरी व्यवस्था अंधी, बहरी और गूंगी बनी रहती है। यदि ऐसा ही चलता रहा तो आज नहीं तो कल, हर आम व्यक्ति को शिकार होना ही होगा। आज आम व्यक्ति की रक्षा करने वाला कोई नहीं है! ऐसे हालात में दो रास्ते हैं-या तो हम जुल्म सहते रहें या समाज के सभी अच्छे, सच्चे, देशभक्त, ईमानदार और न्यायप्रिय लोग एकजुट हो जायें! क्योंकि लोकतन्त्र में समर्पित एवं संगठित लोगों की एकजुट ताकत के आगे झुकना सत्ता की मजबूरी है। इसी पवित्र इरादे से भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास) की आजीवन सदस्यता का आमंत्रण आज आपके हाथों में है। निर्णय आपको करना है!
http://baasvoice.blogspot.com/
Most welcome.
ReplyDeletevery good rajendra kashayap
ReplyDeleteAap Sab ka bahut bahut Shukriya>................
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